
उधम सिंह नगर के है, जिसके चलते सिख समुदाय में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है और जांच में आरोप सिद्ध होते हैं, तो पुलिस को कानून के अनुसार कार्रवाई करने का अधिकार है। हालांकि, पुलिस को निष्पक्ष रूप से और कानून के दायरे में रहकर ही कार्यवाही करनी चाहिए। संविधान किसी भी समुदाय पर अपमानजनक टिप्पणी करने या उनके धार्मिक प्रतीकों और चिन्हों का अनादर करने का अधिकार पुलिस को नहीं देता। रुद्रपुर निवासी सिख युवक, जिसके साथ अभद्रता की गई, कोई अपराधी नहीं था, बल्कि इसी देश का नागरिक है। यदि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन हुआ था, तो उस पर वाहन जब्त करने या अन्य कानूनी कार्रवाई की जा सकती थी, लेकिन चौकी इंचार्ज द्वारा किया गया कृत्य सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने और प्रदेश में वैमनस्य फैलाने वाला प्रतीत होता है, जिसका समर्थन किसी भी रूप में नहीं किया जा सकता।
देश के बदलते माहौल में उधम सिंह नगर में सिख युवक के साथ हुई इस घटना ने उन लोगों को करारा जवाब दिया है जो लगातार सांप्रदायिक सोच को बढ़ावा दे रहे हैं, और वह सोच अब सरकारी तंत्र पर भी हावी होती दिख रही है, जो देश के हित में नहीं है।
यूनाइटेड सिख फेडरेशन उधम सिंह नगर के एसएसपी मणिकांत मिश्रा का आभार प्रकट करता है, जिन्होंने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए सिख युवक की पगड़ी और कड़े का अपमान करने वाले चौकी इंचार्ज पर त्वरित कार्रवाई कर उन्हें लाइन हाजिर किया। हमारी मांग है कि दोषी चौकी इंचार्ज संदीप पिलख्वाल को तुरंत निलंबित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और एक उदाहरण स्थापित हो सके।
अमरजीत सिंह
अध्यक्ष
यूनाइटेड सिख फेडरेशन
देहरादून, उत्तराखंड
9412050777