देहरादून के डॉक्टरगंज, विकासनगर में ग्रामीण महिलाओं के स्वरोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पाँच दिवसीय उद्यमिता विकास कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। यह कार्यक्रम भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (भामृजसं), पौध विज्ञान प्रभाग, देहरादून द्वारा अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत आयोजित किया जा रहा है।
कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. जे. एम. एस. तोमर, प्रमुख, पौध विज्ञान प्रभाग, भामृजसं, देहरादून ने किया। उन्होंने कहा कि बाँस एक बहुउपयोगी पौधा ह
ै, जो पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीण रोजगार सृजन में भी सहायक है। उन्होंने प्रतिभागी महिलाओं से आग्रह किया कि वे इस प्रशिक्षण के माध्यम से प्राप्त ज्ञान का उपयोग बाँस आधारित उद्योगों की स्थापना में करें।
डॉ. राजेश कौशल, प्रधान वैज्ञानिक, भामृजसं ने बताया कि प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को बाँस से उपयोगी उत्पाद जैसे टोकरी, हस्तशिल्प, फर्नीचर एवं सजावटी वस्तुएँ बनाने की व्यावहारिक जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही उद्यम प्रबंधन, विपणन रणनीति और सरकारी योजनाओं की जानकारी भी प्रदान की जाएगी।
सरस्वती जन कल्याण समिति, विकासनगर की श्रीमती बाला रानी जी ने इस अवसर पर कहा कि ऐसे कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उन्हें स्थानीय संसाधनों का बेहतर उपयोग करने के लिए प्रेरित करते हैं।
कार्यक्रम में स्थानीय ग्रामीण महिलाओं की उत्साही भागीदारी देखने को मिल रही है। यह पहल ग्रामीण आजीविका सशक्तिकरण एवं सतत विकास के लक्ष्यों की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।

